अमलियात ए मोहब्बत 5/5 (13)

अमलियात ए मोहब्बत

Amliyat E Mohabbat

अमलियात ए मोहब्बत – Amliyat E Mohabbat, अमलियात-ए-मोहब्बत का शाब्दिक अर्थ है मोब्बत के लिए अमल करना। यानी कि अल्लाह से मोहब्बत के लिए दुआ करना। मोहब्बत चाहे पति-पत्नी के बीच हो, या फिर दो प्रेमियों के बीच, इसके बगैर जिंदगी का एक पल भी नहीं गुजारा जा सकता।

अमलियात ए मोहब्बत

अमलियात ए मोहब्बत

किसी को प्यार करने और किसी का प्यार पाने के लिए दयालु-कृपालु अल्लाह ताला को खुश करना जरूरी है। परिवार में पति-पत्नी, मां-बेटा, पिता-पुत्र, सास-बहु, भाई-बहन आदि रिश्तों में बेपनाह मोहब्बत कायम रखने के लिए अमलियात ए मोहब्बत का होना चाहिए।

यह सब विशेष वजीफाओं का नेक-नीयत से पाठ करने मिलता है। यह कहें कि मनचाहा प्यार पाने के लिए इस कुरानी तरीके से बेहतर और कोई दूसरा तरीका नहीं हो सकता है। 

इससे संबंधित वजीफे के इस्तेमाल की शुरूआत के लिए कुरान में खास दिन मुकर्रर किया गया है। वह दिन नोचंदी जुमेरात का होता है। इस बारे में अधिकतर लोगों को नहीं मालूम है। नौचंदी जुमेरात का मतलब हीजरी यानी चांद के माह की पहली जुमेरात से हैं।

मोहब्बत के लिए कुछ अमल आसान होते है, जबकि तो कुछ बहुत मुश्किल। यही वजह है कि अम्लियत ए मोहब्बत करने से पहले एक उस्ताद की भी जरूरत हो सकती है। वैसे कुछ संक्षिप्त जानकारी इस प्रकार है, जो जानकार मौलवी से हासिल की जा सकती है।

  • अमलियात ए मोहब्बत के लिए सबसे अहम बात यह है कि इसे रात को सोने से ठीक पहले किया जाता है। यानी जब आप सोने वक्त आए तब उससे पहले पाक आयत-ए-करीमा “कद शगफाहा हुब्बन” पढ़ें।
  • इसे पढ़़ने का भी एक तरीका है। ताजा वदू बनाने के बाद जमीन या बिस्तर पर ही साफ चादर बिछाकर बैठें। 
  • अव्वल दुरूद शरीफ को 11 मर्तबा पढ़ें़। फिर बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़ें। 
  • उसके बाद कुरान ए पाक की आयतें करीमा को 101 बार पढ़ें। आखिर में फिर से दुरूद शरीफ को 11 बार फिर से पढ़ें। 
  • इस अमल के दौरान जिस शख्स के साथ मनचाहा और बेपनाह मोहब्बत की कामना की गई हो उसका ध्यान करना भी जरूरी होता है। अर्थात पूरे वक्त पढ़ने के दौरान मतलूब का तसब्बुर करें। 
  • इस अमल के वजीफे को कुल 11 रोज तक निश्चित समय पर पढ़ा जाना चाहिए। अगर बात नहीं बने तो इसे 21 रोज तक भी पढ़ा जा सकता है।  
  • इसे स्त्री या पुरुष कोई भी कर सकते हैं, लेकिन औरतों को इसे हैज या माहवारी के दिन करने से मनाही की गई है। 

मोहब्बत की मुश्किलें

प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए मोहब्बत के दौरान आने वाली मुसीबतें और मुश्किलों को दूर करने के लिए ही इस्लाम में अमलियात ए वजिफा बताया गया है। इसकी बदौलत इश्क के लिए मजबूत अमलियत हासिल किया जा सकता है। सिलसिलेवार तरीका इस प्रकार है- 

  • बेपनाह मोहब्बत पाने से लेकर उसे हमेशा के लिए कायम रखने के लिए मौलवी द्वारा बताए गए आयत को पढ़ा जाता है। अमलियत ए इश्क ओ मुहब्बत का इस्तेमाल सुबह की नमाज फजर के बाद 71 बार, जोहर के बाद 61 बार, असर के बाद 51 बार और मगरिब के बाद 41 बार और एशा के बाद 31 बार किया जाना चाहिए। 
  • इस दौरान नियम से 11 बार दरूद शरीफ पढ़ा जाना चाहिए। फिर 786 बार पूर्ण बिस्मिल्ला का पाठ करना चाहिए।
  • उसके बाद आपको फिर से 11 बार दारूद शरीफ का पाठ करना चाहिए। इस पूरी प्रक्रिया को कम से कम सात दिनों तक दुहराना चाहए।  

दांपत्य रिश्ते में सुधार

अगर आपकी निजी जिंदगी में जीवनसाथी के साथ रिश्ते में खटास आ गई हो, तो अमलियात ए मोहब्बत से उसमें सुधार ला सकते हैं। इससे जीवनसाथ के साथ चली आ रही अनबन की स्थिति खत्म हो जाएगी। 

मात्र तीन सप्ताह तक इससे संबंधित वजीफे का प्रयोग करना होगा। यह मोहब्बत को नुकसान पहुंचाने वाले सारे नुस्क को खत्म कर देता है और मोहब्बत का जज्वा नए सिरे से पैदा कर देता है। इसके लिए अपनाया जाने वाला तरीका इस प्रकार है-

  • इसे मियंा-बीवी दोनों के लिए अपनाया जाता है। वे चाहें तो इस अमल को एक साथ कर सकते हैं या फिर अलग-अलग। एक साथ नवविवाहित जोड़े के लिए ज्यादा सही होता है, ताकि उनके सुखद दांपत्य जीवन को किसी की काली नजर न लगे।
  • मियां-बीवी पहने जाने वाले अपने-अपने एक-एक कपड़ा लें और उनपरं चंदन का तेल छिड़क दें। फिर धूप में सूखा दें। वे कपड़े रूमाल भी हो सकते हैं। 
  • अगले रोज सूर्योदय से एक घंटा पहले सुरह अनफल की 10 आयतें पढ़ें और उस कपड़े पर तीन बार दम करें।
  • उसके बाद दोनों कपड़े को गुलाबी धागे से बांधकर उन्हें फल लगे पेड़ की एक टहनी में बांध दें। बांधते समय इस बात का ध्यान रखें कि हवा लगने पर वह उड़ता रहे।
  • इसके बाद 21 दिनों तक सुबह और शाम का नमाज पढ़ने के बाद अल्लाह ताला से अपने वैवाहिक जीवन के सुखद पल की दुआ करें। 
  • कहते हैं न कि अगर मियां-बीवी हो राजी तो क्या करे काजी। यह कहावत एकदम सटीक उतरेगी। अगर विवाह और वैवाहिक जीवन में किसी तरह की परेशानी आ रही हो तब इसके लिए वजीफा पूरी शिद्दत के साथ निचे लिखी बातों के मद्देनजर रखते हुए पढ़ना चाहिए। 
  • वजीफा को हमेशा पाक नियत से रात को सोने से पहले 11 और 12 बजे के बीच पढ़ें। वजीफा को पढ़ते समय एक चिराग का प्रकाश रख।
  • इनके लफ्जों की खबर किसी नहीं होने चाहिए। मन में पढ़ें या बुदबुदाते हुए अमल में लाएं। लफ्जों को नियम से बार सात रोज तक एकदम शांत कमरे में पढ़ें। 

मोहब्बत पाना और शादी बनाना

प्रेमियों के लिए अपनी मर्जी के बगैर शादी बनाने में कई मुश्किलें आती हैं। सबसे पहली मुश्किल उसके  मां-बाप द्वारा ही पैदा हो जाती है। इस स्थिति में यह ध्यान रखना भी जरूरी होता है कि उनके साथ संबंध में भी मधुरता बनी रहे।

इसके लिए उन्हें अपनी पसंद की शादी के लिए मनाने का ंवजीफा अमल में लाना चाहिएं। वजीफे की कुल मियाद  11 रोज की है, जिसे नागा किए बगैर पढ़ा जाना चाहिए। इसका तरीका ऊपर बताए गए वजीफे के अनुसार ही होता है।

वजु कर इसकी शुरूआत रात के 10 बजे के बाद की जाती है और सुरह यासीन शरीफ को तीन बार पढ़ने के बाद अल्लाहू या फत्ताहू को 303 बार पढ़ा जाता है।

अंत में अल्लाह ताला से दुआ किया जाना चाहिए कि तमाम तरह की परेशानियों से मुक्ति मिले और विवाह में मां-बाप की रजामंदी भी शमिल हो जाए। उसके बाद जब जुमा का रोजा आए तो जुमा की नमाज के बाद दोनों लड़का और लड़की को एक ही समय में अपने-अपने घर में वजीफे को 10 मर्तबा दुरूद शरीफ पढ़ने के बाद 1001 बार पढ़ना चाहिए।

फिर आखिर में 10 मर्तबा दोबारा दुरूद शरीफ पढ़कर खाने की किसी वस्तु पर दम करना चाहिए। उसे अगले रोज एक-दूसरे को खिला देना चाहिए।  

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मोहब्बत का सिफली अमल

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