नाराज शौहर को मनाने की दुआ 5/5 (10)

नाराज शौहर को मनाने की दुआ

नाराज शौहर को मनाने की दुआ, मियंा-बीबी के नाजुक रिश्ते में वैसे तो अनबन होना सामान्य बात है। घरेलू मसलों को लेकर मतभेद उभर जाता है। लड़ाई-झगड़े की स्थिति पैदा हो जाती है। कभी शैहर अपनी बीबी से उसकी गलतियों को लेकर नाराज हो जाता है, तो कई बार बीवी भी अपने शौहर की बातों पर नाराज हो जाती है।

इसे वे अपने ढंग से सुलझा भी लेते हैं। यानी रूठना-मनाना लगा रहता है। कई बार किसी शौहर की नारजगी कुछ ज्यादा बढ़ जाती है। उसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे आपसी रिश्तों के बीच किसी दूसरे की दखलंदाजी, अनैतिक संबंध या उससे पैदा हुई गलतफहमी, यौन संबंध में अरूचि, या फिर विवाह पूर्व के प्रेम-संबंध की जानकारी आदि।

नाराज शौहर को मनाने की दुआ

नाराज शौहर को मनाने की दुआ

ऐसा होने की स्थिति में नाराज शौहर को जितना जल्द हो सके मना लिया जाए, वरना रिश्ते में खटास बढ़ती चली जाती है। खासकर नवविवहित जोड़े को इस संबंध में काफी सतर्क रहने की जरूरत होती है। फिर भी यदि शौहर नाराज हो जाए तो उसकी नाराजगी को कुरानी वजीफे से खत्म किया जा सकता है।

शौहर की गर्ममिजाजी को नरमी में बदला जा सकता है। इसे अमल में लाने से पहले किसी जानकार मौलवी की सलाह लेना जरूरी होता है। साथ ही अल्लाह पर भरोसा करते हुए कुरान की कुछ हिदायतों का भी पालन करना होता है।

यहां शौहर को मनाने के कुछ वजीफे के तरीके दिए जा रहे हैं, जिन्हें उसके मिजाज, नाराजगी की वजहें और दूसरी खामियों के अनुसर इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

अमल का पहला तरीकाः शौहर को मनाने के इस वजीफे से बहुत सी तकलीफें कुछ ही समय में दूर हो जाएंगी और आपके शौहर को आपके करीब ले आएगा। नाराज शौहर को राजी करने के सिलसिलेवार तरीका इस प्रकार हैः-

    • इस वजीफे का इस्तेमाल किसी भी रोज आधी रात को किया जा सकता है। इससे  पहले उस रोज के सारे नमाज को अदा कर लें।
    • आधी रात को घर के किसी एकांत कोने में नमाज अदा करने की स्थिति में बैठ जाएं और बिना किसी संदेह के अल्लाह सुभान वा ताला पे यकीन करते हुए अस सलाला दुओ को 1000 बार पढ़ें। इससे पहले 11 मरतबा दुरूद-ए-शरीफ अवश्य पढें। 
    • कुरानी दुआ के पढ़ने के बाद आखिर में भी दुरूद-ए-शरीफ 11 मरतबा पढ़ें। उसके बाद खुदा से शौहर को मनाने के लिए अपनी जुबान में दुआ मांगते हुए कहें- ऐ मेरे रब, हमारे रिश्ते में सलामती और सुकून वख्श दें। यह कहते हुए अपने शौहर का ख्याल जेहन में रखें
    •  यदि शौहर की कोई नाराजगी में कही हुई कोई बाता हो तो उसे याद करते हुए खुद के सामने रूआंसा होकर दुआ मांगें। दुआ मांगते वक्त आंखों से आंसूं निकल आए।

 अमल का दूसरा तरीकाः शौहर भले ही बहुत प्यार करने वाला हो, उसकी अपनी बीवी पर किसी न किसी वजह से नाराजगी हो ही जाती है। इसके लिए बीवी को चाहिए कि शौहर को राजी करने की दुआ पढ़े। कई बार कुरान की दुआ को लेकर गलतफहमी रहती है कि उसे अरबी या उर्दू जुबान में पढ़ने पर ही फायदा होगा, तो ऐसी बात नहीं है।

उसे उर्दू में पढ़ा जाए या हिंदी में, महत्वपूर्ण यह नहीं है, बल्कि जरूरी यह है कि उसे वैसा ही पढ़ा जाए जैसा कि बताया गया हो। परंतु हां दुआ तभी कुबूल होती है यदि नेक नियत के साथ अपनी गलतियों की माफीनामे के साथ पढ़ी जाए। इसे क्रम से निम्न प्रकार से अमल में लाना चाहिए।

  • सबसे पहले खुद को एक कमरे में तन्हा कर लें। एकांत कमरे में अल्लाह और शौहर की याद करें।
  • इसके लिए पहले वक्त पर वाहा नमाज-ए-इशा पढ़ लें। 
  • उसके बाद अपने शौहर की नारजगी को याद करते हुए उसका ख्याल दिल में लाएं। अल्ला सुभान वा ताला से बताएं।
  • बिस्मिल्लाह पढ़ते हुए एक मर्तबा दुरूद-ए- पाक पढ़ें।
  • इसके बाद नाराज शौहर को राजी करने की दुआ पढनी होगी। वह हैः- अल मुहयामिन। इसे कम से म 700 मर्तबा दुहराएं। 
  • उसके बाद फिर से दुरूद-ए-पाक पढ़ें और अल्ला मिंया से अपने रिश्ते की सलामती की दुआ करें। उनसे इल्तिजा करें कि वह आपको और आपके शौहर के रिश्ते को अपनी हिफाजत में लेकर शौहर की नाराजगी खत्म कर दे।
  •  अगर अल्ला मियां ने चाहा तो कुछ ही दिनों में फर्क दिखने लगेगा, लेकिन इस अमल को 21 रोज तक नागा किए बगैर करना चाहिए।

अमल का तीसरा तरीकाः कुराना में कहा गया है कि जब किसी भी औरत का शौहर उससे नाराज हो जाए तब औरत का फर्ज बनता है कि उसकी नाराजगी को दूर करे। चाहे शौहर जैसा भी हो बेइंतहा प्यार करने वाला, गुस्से वाला या फिर एकदम जालिम किस्म का ही क्यों न हो।

बीवी द्वारा की गई अल्ला की दुआ से न केवल उसकी आपनी बीवी के प्रति नाराजगी दूर होगी, बल्कि उसकी आदतों में बदलाव आ जाएगा और उसका गुस्से का तेवर नर्म पड़ जाएगा। यह एक तरह से शौहर को नए रूप में पाने का वजीफा है। इसे करने का तरीका निम्नलिखित हैः-

    • इस वजीफा को इशा के नमाज के बाद करना चाहिए। ध्यान रहे उस दिन उसकी महावारी नहीं चल रही हो या आने वाले 15 दिनों में वह इस दौर से नहीं गुजरने वाली हो।
    • वजीफे को करने से पहले वजु कर ले।
    • उसके बाद सुराह कौसार को 41 मरतबा पढ़ें।
    • इस दौरान अपने शौहर की एक तस्वीर भी आंखों के सामने रख लें। वैसे कोशिश हो कि तस्वीर के बगैर आंखें बंद कर शौहर का इस कदर ख्याल करें कि उसकी तस्वीर दिमाग में चलने लगे।
    • उसके बाद अल्लाह सुभान वा ताला से दुआ मांगें कि उसके रूठे हुए शौहर राजी हो जाए। यह दुआ दोनों हाथ फैलाकर रूआंसी आवाज में करें।
    • यदि शौहर जालिम किस्म का है और यातनाएं देता है तो अल्लाह ताला से उसकी बुरी हिंसक आदतों को खत्म करने की भी दुआ करें।
    • इंशा अल्लाह ताला ने चाहा तो आपकी दुआ एक हफ्ते में ही कुबूल हो जाएगी, लेकिर बगैर नागा किए इसे 15 दिनों तक लगातार करें। 
    • यदि शौहर किसी गैर औरत की बाहों में पड़ा रहता है, उससे छुटकारा पाने लिए इस दुआ को करते हुए मांगे कि शौहर के दिल में उसके लिए मोहब्बत जगा दे।

शौहर को काबू में करने का वजीफा

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