कर्ज से निजात पाने की दुआ 5/5 (23)

कर्ज से निजात पाने की दुआ

Karz Se Nijat Pane Ki Dua

कर्ज से निजात पाने की दुआ – Karz Se Nijat Pane Ki Dua, इंसान का जीवन कई तरह की समस्याओं से घिरा रहता है। उन्हें दूर करने या फिर उनसे निपटने के लिए कई बार कर्ज का सहारा लेना जरूरी हो जाता है।

इनसे वह रोजमर्रे की या आकस्मिक आई मुसीबतों से छुटकारा तो हासिल कर लेता है, लेकिन नई मुसीबत के तौर पर कर्ज के बोझ का शिकार हो जाता है।

कर्ज से निजात पाने की दुआ

कर्ज से निजात पाने की दुआ

इस स्थिति में हर इंसान चाहता है कि उसे कर्ज से जितनी जल्द मुक्ति मिल जाए उतना ही अच्छा है। हालांकि इससे निजात पाने के लिए कड़ी मेहनत करता है। आमदनी बढ़ने के उपाय करता है। फिर भी कर्ज कम नहीं हो पाता है।

ऐसी स्थिति में एक कर्जदार व्यक्ति को अल्लाताला से दुआ करनी चाहिए और वजीफे की आयतों को नेक नीयत के साथ पाक-साफ होकर रोजना पढ़ना चाहिए। इसे अमल करने से पहले आयतों को अच्छी तरह से याद कर लेना चाहिए। 

दुआ से उतारें कर्ज 

अगर आपकी आमदनी का जरिया कमजोर पड़ गया है या फिर आपकी मेहनत का पैसा अटक गया है। इस वजह से आपके सिर पर भारी कर्ज चढ़ गया है और उसे उतारने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं तो अल्लाताला से दुआ करें।

उनसे की गई दुआ से न केवल आपकी आपकी आमदनी बढ़ेगी, बल्कि अनयमित मिलने वाले वेतन में भी सुधार होगा। यानी कि कर्ज खत्म करने की दुआ से आपको इमदाद आना शुरू हो जाएगा और आने वाले दिनों में कर्ज की नौबत भी नहीं आएगी। इस बारे में सूरह आले इमरान की दो आयतें अदद 26 और 27 इस प्रकार हैः- 

  • दुआ की आयतः अल्लाहुम्मा मालिकाल मुल्की तू तिल मुलका मन तशाऊ व तन्जी उलमुलका मिम्मन तशाऊ व तू इज्जु मन तशाऊ व तुजिल्लु मन तशाऊ, बियदिकल खैयरु इन्नका ‘अला कुल्ली शयइन कदीरा। (सूरह आले ‘इमरान आयत ‘अदद 26) 
  • तू लिजुल लैला फिन्नहारी व तू लीजुन्नहारा फिल्लैलि, व तुख रिजुल ‘हय्या मिनल मय्यीति व तुख रिजुल मय्यिता मीनल हय्यी, व तरजुक मन तशा ऊ बि गैयरी ‘हिसाब। (सूरह आले ‘इमरान आयत अदद 27)
  • कर्ज उतारने वाली इन दुआओं को खास तरह से पढ़ा जाता है। इसके लिए पहले जेहन में फायदे होने की उम्मीद बिठा ली जाती है। दिमाग में नउम्मीद को रत्तीभर भी जगह दी जाती है। सिलसिलेवार तरीका इस प्रकार है-
  • कर्ज अदा करने या उस बोझ को उतारने की इस दुआ को किसी भी रोज किसी भी वक्त पढ़ने की शुरूआत की जा सकती है। वैसे जुम्मेरात से करना अधिक उपयुक्त माना जाता है।
  • घर के एक एकांत कोने में साफ चादर बिछाएं और वजु कर बैठ जाएं।
  • ऊपर दी हुई आयात-ए-मुबारिका बिस्मिल्लाह शरीफ के साथ 11 बार पढ़ें। पढ़ने के समय अपने हाथ ऊपर की ओर उठाकर रखें और आयत को पढ़ लेने के बाद अल्लाताला से कर्ज उतरने की दुआ करें। 
  • दुआ की इस अमल को दिन में एक बार जरूर करें। यह तबतक रोजाना करते रहें जबतक कि आपको कर्ज से मुक्ति नहीं मिल जाए। पूरी तरह कर्ज उतरने के बाद ही इस दुआ को पढ़ना बंद करें। इन्शा अल्लाह इस दुआ असर चंद रोज बाद ही दिखने लगेगा। कर्ज उतारने लायक में बढ़ोत्तरी होगी।  
  • इसके इलावा अगर आप चाहे तो अमल शुरू करते वक्त दो रकअत सालतुल तौबह की अदायगी भी कर लें। उसके बाद अल्लाह से अपनी गुनाहों की माफी की दुआ करें।  
  • इस अमल को औरतें भी कर सकती हैं, लेकिन उन्हें अपने हैज या माहवारी के दौरान इसे नहीं पढ़ना चाहिए। उन दिनों में दुआ पढ़ने से रोक लें।
  • अल्लाताला से कर्ज से निजात पाने की कुछ दुआएं इस प्रकार हैं, जिन्हें मन में भी हर नमाज आदयगी के बाद पढ़ना चाहिए। 
  • दुआ एकऐ अल्लाह! मेरे लिए अपनी हलाल चीजों के साथ अपनी हराम चीजों से काफी हो जा और मुझे अपने फज्ल व करम द्वारा अपने सिवा सभी लोगों से बेनियाज कर दे।
  • दुआ दोऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह मांगता हूं परेशानी से, गम से, आजिज हो जाने से, सुस्ती एवं काहिली से, कंजूसी से, बुज्दिली से तथा कर्ज के बोझ एवं लोगों के गल्बे आ जाने से।

इन दुआओं से पाएं हर मुसीबत से छुटकारा

कुरआन में साफ-साफ लिखा है कि अगर किसी का कर्ज सोने के पहाड़ के बराबर भी है, तो अल्लाहताला उसकी मदद जरूर करेगा। परंतु हां ईमानदारी से मेहनत करने पर ही उसकी कमाई में बरकत होगी और कर्ज से मुक्ति मिलेगी। इंशाअल्लाह की दुआ से बचत भी होगी। दुआ है-

  • ऐ अल्लाह! मोहम्मद (स.) और उनकी आल (अ.) पर रहमत नाजिल फरमा और मुझे ऐसे कर्ज से निजात दे, जिससे तू मेरी आबरू पर हर्फ आने दे और मेरा जेहन परेशान और फिक्र परागन्दा रहे।  उसकी फिक्र व तदबीर में मैं हर वक्त मशगूल रहूं.। ऐसी मान्यता है कि इस दुआ को पढ़ने वाले की कर्ज उतारने की जिम्मेदारी खुद अल्लाह पाक ले लेते हैं. 
  • नीचे दिए गए दुआ से दौलत में बढ़ोत्तरी होने के साथ-साथ रोजी और रोजगार में भी तरक्की होती है। 
  • दुआ है- ऐ मेरे परवरदिगार! मैं तुझसे पनाह मांगता हूं कर्ज के फिक्र व अंदेशे से और उसके झमेलों से। उसके बाएस बेख्वाबी से। तू मोहम्मद (स.) और उनकी आल (अ.) पर रहमत नाजिल फरमा और मुझे इससे पनाह दे। परवरदिगार! मैं तुझसे जिन्दगी में उसकी जिल्लत और मरने के बाद उसके बवाल से पनाह मांगता हूँ। तू मोहम्मद (स.) और उनकी आल (अ.) पर रहमत नाजिल फरमा और मुझे माल व दौलत की फरावानी और पैहम रिज्क रसानी के जरिये इससे छुटकारा दे.
  • दूसरा दुआ- ऐ अल्लाह! मोहम्मद (स.) और उनकी आल (अ.) पर रहमत नाजिल फरमा और मुझे फिजुलखर्ची और मसारेफ की ज्यादती से रोक दे। अता व मेयानारवी के साथ नुक््तए एतदाल पर कायम रख और मेरे लिये हलाल तरीकों से रोजी का इंतजाम कर। मेरे माल का मसरफ उमूरे खैर में कारर दे और उस माल को मुझसे दूर ही रख जो मेरे अन्दर गुरूर व तमकनत पैदा करे, या जुल्म की राह पर डाल दे। या फिर उसका नतीजा तुगयान व सरकशी हो।

दुआओं का अमलः किसी कर्जदार इंसान को कर्ज उतारने के लिए इन दुआओं का अमल तरीके से करना होता है। अमल के लिए बेहतर समय आधी रात के एकांत का होता है। रात के बारह बजे लोबान जलाएं और 21 बार सुरे-फातिहा पढ़ें। अबल या आखिर में तीन-तीन बार दुरूद शरीफ पढ़ें। ऐसा लगातार 51 दिनों तक करें।  

 

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सट्टे का नंबर जानने का अमल

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