नाफरमान औलाद को फरमाबरदार बनाने का वजीफा 5/5 (11)

नाफरमान औलाद को फरमाबरदार बनाने का वजीफा

Nafarman Aulad Ko Farmabardar Banane Ka Wazifa

नाफरमान औलाद को फरमाबरदार बनाने का वजीफा – Nafarman Aulad Ko Farmabardar Banane Ka Wazifa, मौजूदा दौर में औलाद की मनमानी कुछ ज्यादा ही बढ़़ गई है। यह कहकर औलाद की शैतानियों या कहें नाफरमानी और झगडं़ालू स्वाभाव को नजरंदज नहीं किया जा सकता है।

आजकल के लड़के एकदम से नए जमाने के हिसाब से अपनी मनमर्जी के मालिक होते हैं। यह शिकायत अधिकतर मां-बाप को अपनी औलाद से रहती है। अगर किसी की औलाद घर में काफी लड़ाई करती हो और उसकी नाफरमानी हद पार कर चुकी हो। वे जरा भी कहना नहीं सुनते हों। 

नाफरमान औलाद को फरमाबरदार बनाने का वजीफा

नाफरमान औलाद को फरमाबरदार बनाने का वजीफा

सच तो यह भी है कि बिगड़े बच्चे कोई जन्मजात नहीं होत, बल्कि बिगड़े बच्चों की सोहबत में आकर उसकी बुरी आदतें अख्तियार कर लेते हैं। उन्हें कुरआन की छोटी आयात को पढ़कर सुधारा जा सकता है। यह बात बहुत अधिक गौरतलब है कि बच्चे जेहानी तौर पर जो कुछ कुबूल करते हैं

उसमें आधा हिस्सा मां-बाप की तर्ज-ओ-फिकर और घर के माहौल से बनता है। बाकी का आधा हिस्सा बाहर के माहोल से मिलता है। अगर घर का माहौल पुरसुकून नहीं हो और मां-बाप लड़ते-झगड़़ते रहते हों तो बच्चे भी मां-बाप की आदत को अख्तियार कर लिया करते हैं।

इन आदतों के शिकार हो जाने के बाद वे बच्चे पहले अपने भाई-बहनों से ही लड़ने – झगड़ने लगते हैं और कई बार फसाद की नौबत आ जाती है। समय रहते अगर उनपर काबू नहीं पाया जाए तो उनके हाथ वालिदों के गिरेवान तक पहुंचते देर नहीं लगती है।

कुछ बच्चे वालिदों के लाड़-प्यार में भी बिगड़ जाते हैं। मां-बाप भले ही इससे बेखबर रहते हो लेकिन अल्लाताला के पास सबकुछ दुरूस्त करने के  उपाय हैं। यानी कि उसमें जरा भी फरमावरदारी नहीं हो तो उसे सही रास्ते पर लाने के लिए दिया गया वजीफा निम्न तरीके से करना चाहिए। इंशा अल्लाह औलाद निश्चित रूप से रास्ते पर आ जाएगा।

औलाद को दुरूस्त करने का वजीफा  

    • इस वजीफे को किसी भी दिन अपनी सुविधानुसार बेहतर वक्त को देखकर किया जा सकता है।
    • सबसे पहले अव्वल वुजू बना लीजिए। अपने सामने औलद को बैठा लीजिए।
    • उस बच्चे या बच्ची की पेशानी यानी माथे पर हाथ रख दीजिए। 
    • उसे प्यार-दुलार करते हुए उसकी तारीफ कीजिए। उसकी खूबियों का बखान करते हुए इस्म मुबारक अल शहीदु 1000 बार पढ़िए। परंतु हां, इसके पहले और अंत में 21-21 बार दुरूहे शरीफ भी पढ़ लीजिए। 
    • उसके बाद औलाद के सिर पर तीन मरतबा फूंक मारिए।
    • इस अमल को रोजाना तबतक करते रहिए जबतक कि औलाद में सुधार के कोई लक्षण नहीं दिखने लगे। इंशा अल्लाह आप देखेंगे कि एक हप्ते में ही उसमें फर्माबरदारी के लक्ष्ण दिखने लगेंगे। वह एक आज्ञाकारी की तरह पेश आएगा।
    • इस वजीफा को औलाद की मांए या उसकी बड़ी बहन, या फिर दूसरे रिश्तेदार औरतें कर सकती हैं, लेकिन उन्हें यह अमल माहवारी के दौरान नहीं करना चाहिए।

नाफरमानी औलाद के लिए ताबीज और वजीफा

किसी भी मां-बाप के लिए बिगड़ी हुई औलाद तकलीफदेह होती है। ऐसे बच्चे अपने भाई-बहनों की आदतें बिगाड़ देते हैं। उसकी अनुशासनहीनता और बदतमिजियां बर्दाश्त से जब बाहर हो जाता है तब अल्ला मियां से उसके सुधारने की आरजू करता है।

इसके लिए कुछ जानकार मौलवी ताबीज पहनाने की सलाह देते है, जबकि कुछ कुरआनी वजीफा पढ़ने की सलाह देते हैं। वैसे बच्चे दो तरह की बुरी आदतों के शिकार होते है। एक बेहद जिद्दी स्वाभाव के होते हैं, जबकि दूसरे पूरी तरह से अनुशासनहीन। इन्हें सुधारने के अलग-अलग वजीफ बताए गए हैं। 

जिद्दी बच्चे का वजीफाः इसे नीचे दिए गए तरीके से बच्चे के मां या बाप के द्वारा सिलसिलेवार ढंग से रोजाना 11 दिनों तक पढ़ना चाहिए। 

    • सबसे पहले सही तरह से वजु बना लें।
    •  पवित्र दुरूद-ए-शरीफ का 11 बार पढ़ें।
    • डसके बाद सुराह अज-जुखरुफ बगैर किसी रूकावट के लगातार 1100 बार पढ़ें। वह आयत इस प्रकार हैः-

लितास्तावू अलाजुहूरिही सुम्मा ताजकुरूनी 

मतारब्बीकुममिजसतवाइतुम

अलाइहीवताक्लू

सुभानंल्लाजी साखारालानंहाजावामा

कुन्नालाहूमुकुरीनीन

वान्निआलारब्बिनालामुंक्लीबून

    • इसे पढ़ने के लिए ग्यारह दिनों का समय दें। हर रोज 100 बार पढें़। इसके अंत में दुरूदे शरीफ को 11 बार अवश्य पढ़ें।
    • अंत में एक ग्लास पानी पर दम करें और उसे बच्चे को पिला दें।

अनुशासनहीन बच्चाः अगर औलाद मां-बाप के हर बात की अवहेलना करे। उनकी हिदयातों को जरा भी नहीं सुने तो उसे अकेले में बिठाकर समझाने-बुझाने और सभी का सम्मान देने की बात करने के अलावा खास वजीफे का अमल लगातार तीन दिनों तक करना चाहिए। 

  • इस अमल के लिए किसी भी दिन का अपनी सुविधानुसार समय चुन सकते हैं। यह वजीफा भी पहले वाले की तरह ही लंबा है। 
  • इसकी शुरूआत से पहले वजु बना लें और फिर पवित्र दुरूद शरीफ को 11 बार पढ़ें।
  • उसके बाद सुराह अहकाफ को सोए हुए बच्चे के कान के पास मुंह लेजाकर तीन बार पढे़ें और कान में धीरे से दम करें।  
  • अंत में दुरूद शरीफ एक बार फिर से 11 बार पढ़ें। इसे मांए अपनी बिगड़ी औलाद को बगैर किसी डांट-डपट के सुधार सकती है।

फर्मावदार बनाने की दुआ

औलाद अगर वालिदों के साथ तमीज से पेश आते हों। घर के सदस्यों की उम्र का लिहाज नहीं रखते हों या फिर बात-बात पर गाली-गलौच पर उतर आते हों तो उन्हें सही राह पर लोने के लिए दिए गए तरीके से दुआ करनी चाहिए। 

    • दुआ का अमल रात में तब करना चाहिए जब बच्चा गहरी नींद में सो रहा हो। उसके सिरहाने खड़े हो जाएं। इससे पहले वजु कर लें। 
    • पवित्र दुरूह शरीफ 11 बार पढ़ने के बाद नाफरमानी के दुआ की आयत पढ़नी है। इसे एक मरतबा ही पढ़नी है। वह भी धीमे आवाज में बच्चे की कान के करीब जाकर। 
    • उसके बाद दुरूद शरीफ एक बार फिर 11 बार पढ़ने के बाद कान में तीन बार दम करें।
    • इसके अलावा कुराआन की आयते मुबारिका को भी कम से कम 11 और अधिक से अघिक 21 दिनों तक रोजाना 100 बार पढ़ने से भी बच्चे में चमत्कारी बदलाव आ जाता है। इस पढ़ने का सिलसिलेवार तरीका पहले जैसा ही होता है। 
    • आयते मुबारिका है- बिस्मिल्लाह अलरहमिनर अलरहीम बालु हू कुरान मैज्यादु फ्लाई लवाही महफू
    • इसे महिलाएं भी नियमों का पालन करते हुए बव्वे के लिए दुआ कर सकती हैं। इंशा अल्ला की दुआ से बच्चे में एक हप्ते के दरम्यान बदलाव आ जाते हैं।

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औलाद होन का वजीफा

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