दुश्मन को बर्वाद करने का कुरानी अमल

दुश्मन को बर्वाद करने का कुरानी अमल 5/5 (27)

दुश्मन को बर्वाद करने का कुरानी अमल

Dushman Ko Barbad Karne Ka Qurani Amal

दुश्मन को बर्वाद करने का कुरानी अमल – Dushman Ko Barbad Karne Ka Qurani Amal, आज की एहसानफरामोश और मतलबी दुनिया में शायद ही कोई इंसान हो, जिसका कोई दुश्मन नहीं हो। अमूमन हर व्यक्ति अदावत का शिकार बना रहता है।

दुश्मन चाहे जैसा भी हो उसे संभल कर रहने में ही भलाई है। कई बार सचेत रहने के बावजूद दुश्मनों की हरकत सीमा पार जाती है और वह हर काम में बाधक बन जाता है।

दुश्मन को बर्वाद करने का कुरानी अमल

दुश्मन को बर्वाद करने का कुरानी अमल

ऐसी स्थिति में दुश्मन को खत्म करना या बर्वाद करना ही सही कदम होता है। दुश्मन को बर्वाद करने का अर्थ किसी तरह की हिंसा और शारीरिक क्षति पहुंचाए बगैर उसकी नींद हराम करने से है।

इस संबंध में कुछ विशेष कुरानी अमल बताए गए हैं, जिन्हें नेक नीयत के साथ पढ़ने पर अल्फाजों की मार से दुश्मन को निरस्त किया जा सकता है।

कील से दुश्मन को कमजोर बनाना 

कुरान में दुश्मन से निपटने के कई अमल बताए गए हैं। उनमें एक है दुश्मन को नींद हराम करने का भी अमल, जिसे पढ़ने के साथ-साथ कील और तस्वीर के जरिए बेवजह परेशान करने वाले दुश्मन को हमेशा के लिए शांत किया जा सकता है।

उसे घुटने टेकने पर मजबूर करने के लिए पहले उसकी कोई तस्वीर हासिल कर लें और अपने पास कुछ कीलें रख लें। कोई जरूरी नहीं है कि दुश्मन का नाम-पता मालूम हो। इस अमल को 11 दिनों तक निम्न तरीके से करते हुए दुश्मन की तस्वीर पर एक कील ठोक देनी है। 

  • रात के ग्यारह बजे के बाद घर के किसी एकांत स्थान में साफ चादर बिछाकर बैठ जाएं। अपने सामने कोई लकड़ी एक तख्ता दीवार के सहारे खड़कर रखें। उसपर दुश्मन की तस्वीर एक पिन या छोटी कील के सहारे टिका दें। इससे पहले इशा की नमाज जरूर पढ़ें।
  • इस अमल से पहले नमाज की पावंदी जरूरी है। इस बारे में दिये गए कुरानी आयत को अल्फाजों को स्पष्ट तलंफ्फुज के साथ पढ़ें। इस बारे में जानकार मौलवी से पूरी जानकारी हासिल कर लें। वैसे वह अमल है- अल्लाह उमा मंजिल किताबी मुजरियास शबी सारी अल हिसाबी हजिमल अहजाबी इहजिम-मुरमुर।
  • इस आयत को प्रतिदिन 111 बार पढ़ना है। इससे पहले वजू कर लें। उसके पहले और आखिर में दुरूद शरीफ भी 11-11 बार पढ़ें। 
  • अंत में तख्त के साथ टंगी तस्वीर पर एक कील ठोक दें। उस तख्त में कील लगी तस्वीर को संभाल कर रख दें। उसे सफेद कपड़े से लपेट कर रखना ज्याद अच्छा होता है।
  • ग्यारह दिनों के अमल के अखिर दिन रात को ही दो तस्वीर को तख्त से निकालें और सभी 11 कीलों के साथ किसी कब्रिस्तान में जाएं। वहां दो कब्रों के बीच में तस्वीर को दफन कर दें। 
  •  इस तरह इस अमल के पूरा होने पर अल्लाताला से अपनी सलामती की दुआ मांगें। इस अमल के अगले रोज ही दुश्मन की बेचैनी की खबर मिलेगी। 
  •  यह अमल वैसी औरतों के लिए भी काफी उपयोगी है, जिसके शौहर के पीछे कोई दूसरी और पड़ी रहती है और उसके रिश्ते में बाधा बनती है।
  • हिदायतः इस अमल के इस्तेमाल करने वालों को यह हिदायत दी जाती है कि अल्लहताला से दुश्मन को मरने की दुआ नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसे बर्वाद करने, अपनी हिफाजत करने या फिर उसे खूब परेशान या तबाह करने की दुआ करनी चाहिए। 

दुश्मन का पर्दाफास कर जलील करने का अमल

कुछ दुश्मन पर्दे के पीछे रहते हुए वार करते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं। वैसे दुश्मनों से अपनी हिफाजत करने के साथ-साथ उसका पर्दाफास करना भी जरूरी होता है। उस संबंध में दिए गए कुरान के अमल को नियम के साथ पढ़ना बहुत ही कारगर उपाय हो सकता है। वह अमल है-

हा या हुक्कु बिहाकि तुनकफील।

या हिरु जुल बतशी ला येतुकु

इंतकाम या महिरु या काहिरु।

इस अमल को रोजाना रात के 10 बजे के बाद 41 बार पढ़ना है। इसे तब तक प्रतिदिन पढ़ें जबतक कि इसकी संख्या 3172 नहीं हो जाए। इसके पहले और आखिर में दारूद शरीफ को भी अवश्य पढ़ें। इसके पूरा होते-होते दुश्मन खुद आपके सामने घुटने टेक देगा।

दुश्मन को जलील करना

यदि आप चाहते हैं कि आपका दुश्मन दूसरों के सामने ठीक उसी तरह से जलील हो जाए जिस तरह उसने आपको परेशान किया है, तो ऊपर दिए गए अमल को दिन में 313 बार रोजान 11 दिनों तक पढ़ें। इसकी शुरूआत मंगलवार या शनिवार के दिन को छोड़कर करें और अपने सामने दुश्मन की तस्वीर जरूर रखें। आप पाएंगे कि इसका असर तीसरे दिन से ही दिखने लगेगा।

दुश्मन को परास्त करने का अमल

कई बार बिजनेस या किसी व्यक्तिगत काम में बाधा आ जाती है। बाद में पता चलता है कि इसके पीछे किसी छिपे हुए दुश्मन का हाथ था। कारोबार में की गई कोशिशें बेकार चली जाए या फिर परिवार में किसी सदस्य की बीमारी दुश्मन की गलत सलाह की वजह से बढ़़ जाए, तो वैसे दुश्मन को परास्त करने का अमल करना चाहिए। इस अमल को भी दुश्मन की तस्वीर के साथ कील के प्रयोग के साथ करना चाहिए। उसका सिलसिलेवार तरीका इस तरह होना चाहिए- 

  • सबसे पहले लोहे की एक कील लें, जो आपके अंगूठे के साइज की हो। सामने दुश्मन की तस्वीर भी रखें।
  • राज कि 11 बजे वजू बना लें और 1100 मरतबा सुरह नास पढ़ें। इसे पढ़ने से पहले दारूद शरीफ को 11 बार अवश्य पढ़़ें। उसके बाद कील को दम करें यानी उसपर फूंक मारें। अंत में एक बार फिर दारूद शरीफ पढ़ें। 
  • उसी वक्त कील को आग में इतना तपाएं उसका रंग सूर्ख लाल हो जाए। 
  • आग में तपे कील को दुश्मन की तस्वीर पर रख दें। इसके साथ ही आप दुश्मन की जैसे-जैेेेेेसे तस्वीर जलती जाएगी आप उसकी बेचैनी को महसूस करेंगे। यहीं से आपको उससे निजात मिलने की शुरूआत हो जाएगी।
  • इस अमल से प्यार-मोहब्बत में दो प्रेमियों के मोहब्बत में खलल डालने वाले  दुश्मन, चाहे वह लड़का हो या फिर लड़की, उनको भी सही ठिकाने पर लाया जा सकता है। साथ ही मिंया-बीवी के दरम्यान जबरन किसी दूसरी औरत की दुश्मनागत को भी इस अमल से खत्म किया जा सकता है।

कुरान में हिंसा को जगह नहीं दी गई है और उसकी आयतों के अल्फाज काफी दूर तक और लंबे समय तक असर डालते हैं। इस लिहाज से जानबूझकर किसी को तंग करना या सही व्यक्ति के साथ दुश्मन की तरह पेश आना गलत हो सकता है।

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दुश्मन की जुबान बंद करने का वजीफा  

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