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औलाद होन का वजीफा
औलाद होन का वजीफा, बेऔलाद दंपति औलाद के लिए दरगाहों और मस्जिदों में जाकर अल्लाह से मन्नतें मांगते हैं। दुआएं करते हैं। पीर-हकीम और मौलवियों के पास जाते हैं।
फिर भी उनकी बेऔलादी दूर नहीं हो पाती है। ऐसे दंपति को चाहिए कि वे दिल से कुरानी वजीफा का प्रयोग करें। इसे खातून भी औलाद के लिए कर सकती है, जिसमें गर्भ ठहरने और बच्चे के जन्म तक के सलामती की दुआएं शामिल हैं।
कुरानी वजीफे के जरिए अल्लाह जिसको भी चाहता है, उसे नवाजता है। इसलिए बेऔलाद दंपति को नाउम्मीद नहीं होना चाहिए। अल्लाह के सामने कुरान की आयतें पढ़कर अपने गम का दुखड़ा सुनाना चाहिए। यह कहें कि कुरानी आयतों को अपनी जिंदगी में शामिल कर लेना चाहिए।
बेऔलाद दंपति
यहां दी गई कुछ दुआ की आयातों को मिंया-बीवी दोनों को नियमित रूप से पढना चाहिए। इसकी दुआ कुबूल होती है और औलाद होने की मन्नत भी पूरी हो जाती है। फज्र की नमाज के बाद आयतों को 133 बार पढ़ें और पानी फूंक मारें। वे आयतें इस प्रकार हैंः-
लिल लाहि मुल्कुस सामावाती वाल अर्ज
याख्लुकु मा यशाऊ यहबू लिमय यशाऊ
इनासव व यहबू लिमय यशाऊज जुकूर
अर्थात जमीन और आसमान में बादशाहत अल्लाह ही की है, वो जो चाहता है पैदा फरमाता है। जिसको चाहता है बेटियां देता है, जिसको चाहता है बेटे देता है।
इसी तरह से एक अन्य कुरान की आयात को मिंया-बीवी द्वारा हमेशा पढ़ना चाहिए। कम से कम फर्ज की नमाज के बाद तीन बार जरूर पढ़ें। इसके शुरू और आखिर में तीन बार दुरूद शरीफ पढ़ें। आयतें हैः-
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- जकरिय्या इज नादा रब्बहू रब्बी ला तजरनी फरदव व अन्त खैरुल वारिसीन
अर्थात ए मेरे रब मुझे अकेला न छोड़ और तू बेहतरीन वारिस बनाने वाला है।
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- रब्बी हब ली मिनस सालिहीन। अर्थात! ए मेरे रब मुझे नेक बच्चा अत फरमा।
- हुनालिका दआ जकरिय्या रब्बह काल रब्बी हब ली मिल लदुन्का जुर्रिय यतन तय्यिबह इन्नका समीउद दुआ। अर्थात! ए मेरे रब मुझे अपनी जानिब से नेक औलाद अता फरमा, बेशक तू दुआ को खूब सुनने वाला है।
औलाद होने का वजीफा
विवाह के बाद समय पर औलाद नहीं होने पर औरत को परिजनों से हजार ताने सुनने पड़ते हैं और उसे शौहर तक औलाद पैदा करने में नकारा घोषित कर देता है।
वैसी औरत को अल्लाह पर भरोसा कर वजीफा की आयतें पूरी नेमत से पढ़नी चाहिए। इसमें जरा सी भी खामी आ जाने से वजीफे का लाभ नहीं मिल पता है। सही तरीका इस प्रकार बताया गया हैः-
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- सबसे पहले नमाज की पाबंदी जरूरी है। इसके बगैर फायदा नहीं हागा।
- जिस भी आयते कुरानी या अल्लाह का नाम दिया गया है या अरबी का शब्द हो उसका उच्चारण सही होना चाहिए। पूरी तरह से तकलफ्फुज के साथ पढना चाहिए। वजू के साथ पढना तो और भी बेहतर है।
- वजीफे की आयतें को पढ़ने की संख्य निर्धारित की हुई हैं। उन्हें उतनी बार ही पढ़़ना चाहिए। उसकी संख्या न कम हो और न ज्यादा होने पाए।
- वजीफा के लिए यदि किसी वक्त का मुकर्रर किया गया हो तो उसी वक्त में पढ़ना चाहिए।
- महत्वपूर्ण बात यह कि वजीफे की अमलियात या कहें कि वजीफे की इस्तेमाल जायज काम के लिए करें। वरना इसका नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
हमल की दुआ
इसे गर्भधारण का वजीफा भी कहा जाता है। शादीशुदा औरत अपने बच्चे के लिए तबतक तरसती रहती है, जबतक कि वह गर्भवती नहीं हो जाती। ऐसी औरत को हमल की दुआ करनी चाहिए, जिसमें अजीबो-गरीब कारगुजर अमल की ताकत है।
बेशक इसके जरिए औरत को औलाद हासिल होती है। यह अमल वैसे औरतों को जरूर करना चाहिए जिनका गर्भ नहीं ठहरता या फिर गर्भपात हो जाता है। इस दुआ के लिए दिया गया सिलसिलेवार तरीका इस प्रकार होना चाहिए।
- हमल की इस दुआ को औरत खुद करे या फिर उसका शौहर के द्वारा किया जाना चाहिए। इसे करने वाले पहले वजु बना लें। एक सूती लाल रंग का धागा यानी कि डोरा लें।
- धागे से हमल चाहने वाली खातून के सिर से लेकर पैरों के अंगूठे तक की नाप कर लें। यह काम औरत खुद करे उनके बदले में शौहर को करने दें।
- नाप लिए गए हुए धागे पर बिस्मिल्लाह हि राहमाान मी राहीम पढें। उसके बाद कलीमा तय्यबा के साथ इस्म मुबारक को पढ़ें। दुआ की पढ़ी जाने वाली लाइन हैः- साबूरु ला इलाह इल्लाइलाहु मुहम्मदुर रसूलुइलाह ।
- इसे पढने के बाद धागे के एक छोर पर गांठ बांध दें। उसके बाद उस पर फूंक मारें यानी कि दम करें। ठीक इसी तरह से इस दुआ को सात बार पढ़ें और धागे के थोड़-थोड़ी दूरी पर सात गांठ बांध दें। हर बार धागे का दम करें। ध्यान रहे गांठ ज्यादा करीब न हो। ये इसप्रकार बनाया जाना चाहिए ताकि पूरे धागे में एकसमान दूरी पर आ जाए।
- गांठ बने धोग को औरत अपनी कमर में बांध ले।
- यह धागा बांधने पर उस औरत का गर्भधारण निश्चित है। उसका गर्भ भी जाया नहीं होगा। धागा बच्चा जन्म लेने तक बांधा रहना चाहिए। उसके बाद उसे पाकसाफ जगह पर रख दें या फिर मिट्टी के नीचे दबा दें।
- यह उपाय गर्भपात के दौरान रक्त का बहना तुरंत बंद हो जाता है और भविष्य में गर्भधारण की संभावना भी बनती है। रूहानी इलाज के लिए इसे सात दिनों तक करें।
इसे कोई भी औलाद की इच्छुक विवाहिता औरत कर सकती है।
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- रमजान के पाक मुबारक में रोजा रखें।
- प्रतिदिन समय पर इफ्तार के समय नीचे दिए गए दुआ को पढ़ें।
- दारूद-ए-ताज 11 बार और या खलिक या बारियू या मुसवारियू को 21 बार पढ़ें।
छोटी दुआ का बड़ा असर
कुरान में दी गई आयतों में कुछ बहुत छोटी से दुआ भी है, जिनका काफी बड़ा असर होता है। मनपसंद जीवन साथी पाना हो। औलाद की इच्छा पूरी करनी हो या फिर सुख-समृद्धि हासिल करनी हो। इसके लिए रात को सोने से पहले अल्लाह से दुआ करें। अपनी कमी को पूरा करने के लिए अल्लाह से कुछ शब्दों में ही जिक्र करें।
वे शब्द हैंः- या वह-हाबु। लेकिन हों यह कहते हुए अपनी मुराद को जहन में रखें ऐसे जिक्र करें मानों आप उसमें खो से गए हों। साथ ही दिल मंे किसी के प्रति मलाल नहीं हो। किसी के प्रति गलता धारणा या नीयत नहीं रखें। इसका अमल लगातार 40 दिनों तक करें।
शौहर को काबू में करने का वजीफा