दुश्मन को दोस्त बनाने का वजीफा 5/5 (7)

दुश्मन को दोस्त बनाने का वजीफा

Dushman Ko Dost Banane Ka Wazifa

दुश्मन को दोस्त बनाने का वजीफा – Dushman Ko Dost Banane Ka Wazifa, कहते हैं न दुश्मनी से दोस्ती भली। यही सच्चाई है और इससे शायद ही कोई इनकार कर सकता है। यानी कि भला कौन होगा, जो दुश्मन से भी दोस्ती करना नहीं चाहेगा!

आप स्वयं सोचें कि अगर आपके सभी दुश्मन दोस्त बन जाएं और उनका सलूक दोस्ताना हो जाए, तो कितना अच्छा हो? यही हर समाज और परिवार की वास्तविकता होनी चाहिए। मानवीयता के आधार पर अल्लाताला को भी यही पसंद है।

दुश्मन को दोस्त बनाने का वजीफा

दुश्मन को दोस्त बनाने का वजीफा

इसलिए दुश्मनी को दफन करना ही सही होता है। यही वहज है कि कोई भी इंसान जिंदगी में दुश्मन नहीं बनाना चाहता है। फिर भी यदि जाने-अनजाने में दुश्मन बन भी जाए तो उससे दोबारा दोस्ती करने की कोशिश करता है।

अल्लाताला भी ऐसे इंसान की मदद करते हंै। इसके लिए कुरान मंे कुछ वजीफा दिया गया है, जिसे जानकार मौलवियों ने पाक-साफ नीयत के साथ अमल में लाने की सलाह दी है। इस बारे में दोस्ती करने का एक वजीफा नीचे दिया गया है, जिसे सिलसलेवार ढंग से इस तरह अमल में लाना चाहिए। 

  • केवल दो अल्फाजों का वजीफा है- अल कुद्दूसु! इसे कई तरह से दुश्मन के प्रभाव और उससे नुकसान के खौफ की आशंका के अनुसार कई रोज तक अमल में लाया जा सकता है।
  • अगर दुश्मन आपके साथ बना रहता हो और मुंहपर तारीफ, परंतु पीठ पीछे   मुखालफ करता हो, तो उसके मन से दुश्मनी की भावना को खत्म करने के लिए इस वजीफे को 11 दिनों तक रोजाना पढ़ें और हर रोज मिठाई पर दम करें।
  • सुबह के वक्त पहले नमाज से ठीक पहले अपने बिछावन पर ही 11 मर्तबा दुरूदे-ए-शरीफ पढ़ें। 
  • उसके बाद 317 बार वजीफे को पढ़ें और एक सूखी हुई साबूत मिठाई पर तीन बार फूंक मारें। फिर दुरूदे-ए-शरीफ को दोबारा 11 मर्तबा पढ़ें। ध्यान रखें कि यह सब करते हुए दिन के पहले नमाज का भी वक्त हो जाए। नमाज पढें और मिठाई को सुरक्षित रख लें।
  • हर दिन की तरह उस दुश्मन से मुलाकात होने पर वही मिठाई उसे खिला दें, जिससे आप दोस्ती करना चाहते हैं। ऐसा लगातार करते हुए अलग-अलग मिठाई पर दम करें। संभव हो तो उसमें से कुछ खुद भी खा लें।
  • इंशा अल्ला ऐसा करने के कुछ ही दिनों के बाद असर दिखा देंगे। कल तक दुश्प्रचार करने वाला वही दुश्मन न केवल अपकी तारीफ करने लगेगा, बल्कि अपकी बुराई करने वालों से लड़ भी पड़ेगा।     

दुश्मनी खत्म करने का अमल

हर इंसान को चाहिए कि वह दुश्मन को नुकसान पहुंचाने के बजाय उसकी दुश्मनी को खत्म करे। इसके लिए भी ऊपर दिए गए वजीफे को निम्न तरीके से पढ़ते हुए अमल में लाना है। 

  • किसी माह के पहले बुधवार के दिन रात के 11 बजे अपने कमरे के एक कोने मंे साफ चादर बिछाकर वजू की हालत में बैठ जाएं।
  • दुश्मन की तस्वरी साथ रखें और उसके ऊपर लाल स्याही की कलम से उसका नाम लिखें। साथ में उसकी मां का नाम भी लिखें।
  • उसके बाद दरूद शरीफ को 11 बार पढ़ें और फिर आयत मुबारक को 221 बार पढ़ें। फिर दुश्मन को दोस्त बनाने वाला वजीफा भी उतनी ही बार पढ़ें। अंत में दुरूद शरीफ को फिर से 11 बार पढ़ें और तस्वीर को पैरों के नीचे दबाकर अल्लाताला से दुश्मनी खत्म करने की दुआ मांगें।
  • इस अमल को लगातार 11 दिनों तक करें और इस दौरान पांचों वक्त की नमाज पढ़े। अंतिम दिन तस्वीर को पैरों से इसतरह कुचलें कि वह फट जाए। उसके बाद उसे मिट्टी के नीचे दफन कर दें। 
  • इस अमल से दुश्मन खुद को जलील महसूस करगा। उसकी दुश्मनी पर्दाफास हो जाएगी और वह आपकी कदमों में बचाव के लिए आ गिरेगा।

दुश्मन से हिफाजत वजीफा

कई बार दुश्मन की चाल और उसकी ताकत के बारे में अंदाजा नहीं मिल पाता है कि किस तरह से उससे दोस्ती का हाथ बंटाया जाए। ऐसे हालात में दुश्मन से हिफाजत करने के लिए वजीफा अमल में लाना सही होता है। इसका असर तेजी से होता है और दुश्मन दुश्मनी छोड़कर दोस्ती का हाथ बढ़ा देता है। इसका तरीका इस प्रकार है-

  • जानकार मौलवी इसके लिए वजीफे का अमल तीन जुमे यानी कि 21 दिनों तक करते हुए 7000 बार पढ़ने की सलाह देते हैं। 
  • समय रात के 11 बजे का होना चाहिए। दो रकात नमाज अदा करने के बाद इस अमल को पढ़़ा जाता है।
  • इस अमल के पूरा होते-होते दुश्मन बुरी तरह से जलील हो जाएगा और उसने जितना नुकसान पहुंचाने की इरादा किया होगा, उससे अधिक उसका ही नुकसान हो गया होगा।

अपना बनाने का वजीफा

किसी को अपना बनाने का वजीफा इस्तेमाल कर भी दुश्मन को दोस्त बनाया जा सकता है। दुश्मन चाहे औरत हो या पुरुष, मौलवी दोनों के लिए इसका उपयोग करने की सलाह देते हैं। प्यार-मोहब्बत में दोस्ती-दुश्मनी का आना स्वाभाविक है।

अगर कोई किसी मुहब्बत करता हो और दोनों निकाह की ख्वाहिश रखते हांे, लेकिन दोनों में से कोई भी एक शख्स मुखालिफ हो गया है, तो इसको सही रास्ते पर  लाकर अपना मेहबूब बनाने के लिए इस वजीफा का पढ़ना बेहद मुफीद साबित होगा। उसका तरीका इस प्रकार होना चाहिएः-

  • वजीफा करने से पहले की दो शराइत पढ़ना चाहिए, जिसमें एक निकाह इस्तीखारा है और दूसरा वजीफा करने की इजाजत है।
  • इसे किसी भी रोज और किसी भी वक्त अपनी सहुलियत के मुताबिक किया जा सकता है। 
  • थोड़ा सुरमा अपने साथ रख लें और फिर ताजा वुजू बन लें।
  • फिर सूरह फत्ह 21 मरतबा पढ़ कर दम कर दें। हर बार सूरह फत्ह पढ़ने के बाद अपने नाम के साथ अपनी मां का और मतलूब के नाम के साथ उसकी मां का नाम लें।
  • उसके बाद सुरमा पर दम करें और उस सुरमा को अपनी आँखों में लगा लें। 
  • फिर मतलूब के सामने जाएं और उससे नजरें मिलाकर प्रेम की पोजेटिव बातें करें। उसकी तारीफ करें। नई योजनाओं के बारे में जानकारी दें। इंशा अल्लाह मतलूब को आपसे फिर से मुहब्बत हो जाएगी। पुरानी दुश्मनी खत्म हो जाएगी।
  • इस वजीफा सिर्फ एक ही मरतबा की किया जाना चाहिए। अगर एक बार में असर नहीं दिखे तो कम से कम सात बार अवश्य पढ़ा जाना चाहिए। वजीफा इस प्रकार है- 
  • बिस्मिल्ला’ह हिर्रहमान निर्रहीम अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन अर्र-र’हमान -निर्र’हीम मालिकी यवमिद्दीन इय्याका ना’बुदू व इय्याका नसत’ईन इहदिनस-सिरातल-मुस्तकीम सिरातल-लजीना अन ‘अमता ‘अलैहिम गैरिल-मगदूबे ‘अलैहिम वलद-द्वाल्लींन- आमीन।

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दुश्मन को हलाक करने का वजीफा

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